Wednesday 31 December 2014

नहाने का साबुन और हमारा स्वास्थ्य



नहाने का साबुन और हमारा स्वास्थ्य

हमारे रोजाना के इस्तमाल होने वाली चीजो में नहाने के साबुन का महत्व पूर्ण स्थान है. शायद आपको पता होगा कि नहाने का साबुन दो प्रकार का होता है - टॉयलेट सोप - बाथिंग सोप. यहाँ टॉयलेट सोप का मतलब है वो साबुन जो नरम तथा खुशबूदार, नहाने के लिए प्रयुक्त होने वाला. लक्स, लाइफबॉय, मैडीमिक्स, संतूर, डेटोल, पर्सोना, जॉनसन बेबी सोप, हमाम ये सभी टॉयलेट सोप है. इनको परखने वाला मापदंड TFM है. जो कि साबुन के लिफाफे पर अंकित होता है. साबुन का TFM जितना ज्यादा होगा वह उतना ही हमारी त्वचा कि नमी को बनाये रखेगा. TFM % में अंकित होता है. अगर आप कम TFM वाला साबुन उपयोग कर रहे है तो आपने देखा होगा कि साबुन से हाथ धोने या नहाने के बाद त्वचा सूखी हो जाती है फिर उस त्वचा पर नमी लाने के लिए मॉयस्चराइजर का उपयोग करना पड़ता है. ये कितनी समझदारी वाली बात है कि पहले हम स्वतः बनने वाली नमी को कम TFM वाले साबुन से हटाते है फिर बाजार से महंगी मॉयस्चराइजर खरीद कर अपनी त्वचा की नमी को बनाते है. ७५% से ज्यादा TFM वाला साबुन उपयोग में लाना अच्छा रहेगा.  डब, पियर्स बाथिंग सोप है. जिन पर TFM अंकित नहीं होता. इनका उपयोग वो लोग करे जिनकी त्वचा बहुत ज्यादा रूखी हो. कुछ साबुनों में पॉवडर भी पड़ा होता है जिसका उपयोग साबुन का भार बढ़ाने में होता है. आपने देखा होगा कुछ साबुन पतले होने पर टूट जाते है, ऐसे साबुनों के टूटने के बारे में आपको समझ जाना चाहिए. जब बच्चा बहुत छोटा होता है तब आपका डॉक्टर एक ब्रांड के साबुन से बच्चो को नहलाने के बारे में कहता है. फिर कुछ दिनों के बाद आप डॉक्टर से बिना पूछे अपने बच्चे का साबुन बदल देते हो. उपरोक्त टॉयलेट सोप में से पर्सोना,  जॉनसन बेबी सोप का TFM क्रमशः ७६% तथा ७८% है. नहाने के साबुन का इस्तेमाल सोच समझकर करे. जागरूक ग्राहक बने.